कविता : विश्व जनसंख्या दिवस

जनसंख्या की बृद्धि होती
जा रही है बिकराल
रोका नहीं गया इसको
तो होगा काल कराल।।
नहीं मिलेगी जगह और
संसाधन नहीं मिलेगें
संकट हो उत्पन्न अन्न का
भूखे लोग मरेगें।।
देश की प्रगति में जनसंख्या
भारी एक रूकावट हैं
होनेवाले बिस्फोरण की
एक भयानक आहट है।।
बच्चों को ईश्वर की इच्छा
और समझना बंद करो
धर्म के कट्टर आँखे खोलो
देश चाक चौबंद करो।।
वन,जंगल,जल,वनस्पति
संसाधन ह्रास हो जायें
सोचो जरा देश का कैसे
पूर्ण विकाश हो पाये।।
भारत को गर बिश्वगुरु का
दर्जा दिलवाना है
जनसंख्या के विषम असुर को
पहले रुकवाना है।।
आओ हमसब मिलकर
साथी एक सपथ लेते हैं
एक जोड़े पर दो बच्चो की
नीति ग्रहण करते हैं।।
पुरषोत्तम अग्रवाल
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