भारत सरकारी संस्थाओं ने ओडिशा सरकार की जमीन हडपी ,अरबों रुपयों की संपत्ति

भुवनेश्वर, भारत की कानून और शासन ब्यवस्था के अंतर्गत यह है कि पूरे भारत की सार्वजनिक जमीन पर मालिकाना हक सिर्फ संबंधित राज्य सरकार का है.

भारत सरकार को अगर किसी प्रोजेक्ट के लिए कुछ जमीन चाहिए तो वो राज्य सरकार को अनुरोध कर सकती है ,जमीन मुहैया कराने के लिए.

अब संबंधित राज्य सरकार पर निर्भर करता है कि जमीन केंद्र सरकार को दे या न दे और अगर दे तो कितनी दे प्रोजेक्ट के लिए. अब अगर राज्य सरकार केंद्र सरकार के आवेदन पर राजी होजाती है तो वह केंद्र को लीज पर जमीन देसकती है.

जितनी जमीन केंद्र सरकार के किसी प्रोजेक्ट के लिए राज्य सरकार एलोट करेगी,उतनी ही जमीन केंद्र सरकार दखल में लेगी.ऐसा नियम कानून देश में बना हुआ है पिछले 70 सालों से.

प्राइवेट आदमी सरकारी जमीन दखल करता है तो ओडिशा सरकार उसको नोटिस देकर ,तुरंत जमीन खाली करवाती है भुवनेश्वर में बिएमसी, बीडिए के जरिए, बुलडोजर का प्रयोग कर.

लेकिन जब भुवनेश्वर में भारत सरकार की 3 संस्थाओं ने एलोटमेंट से कहीं ज्यादा जमीन हडप रखी है पिछले 60 सालों से और बीडिए, बीएमसी चुप हैं,सरकार का जीए डिपार्टमेंट भी चुप है.

केवल पत्र देते हैं कभी कभार,इसके अलावा और कुछ नहीं. उपरोक्त तीन भारत सरकार की संस्थाएं हैं सैनिक स्कूल,सिएसआइआर-आइएमएमटी एवं 120 इनफैंट्री बटालियन.

उपरोक्त तीनों भारत सरकार की संस्थाओं ने पिछले 60 सालों से 76 एकड ज्यादा जमीन पर कब्जा किये हैं.इन संपतियों को वापस लेने के लिए ओडिशा सरकार की तरफ से बारंबार पत्र दिये जाने के बावजूद ये संस्थाएं एलोटमेंट से ज्यादा कब्जा की हुई जमीन को वापस नहीं कर रही है.

उपरोक्त कब्जायी जमीन की राज्य सरकार के हिसाब से मूल्यांकन है 790 करोड़, जब कि इसकी मार्केट वेलुएशन है 5 हजार करोड़ रुपये.