अभिषेक जोशी का किसान आंदोलन पर प्रधानमंत्री को पत्र ; केंद्र सरकार ने दिया जवाब

कटक : ओडिशा सुरक्षा सेना के अध्यक्ष अभिषेक जोशी ने किसानों को लाभ पहुँचाते हुए चल रहे किसान आंदोलन का हल खोजने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान आकर्षित करने के लिए उनको एक पत्र लिखा था। श्री जोशी ने अपने पत्र में लिखा है कि पूरे देश में किसानों ने दोनों सदनों में पारित तीन किसान बिलों को लेकर नाराजगी दिखाई है। सितंबर, 2020 में संसद का प्रदर्शन तब से देश के अन्य हिस्सों में फैल गए हैं जहाँ किसान सड़क और रेलवे ट्रैक को अवरुद्ध कर रहे हैं और लोगों की आवाजाही को सीमित कर रहे हैं । इस कोरोना महामारी समय में, किसानों के विरोध ने निश्चित रूप से हमारी अर्थव्यवस्था को बैकसीट में डाल दिया है।
श्री जोशी ने लिखा था कि किसानों अन्न दाता है उनके साथ सरकार को बातचीत करनी चाहिए और परस्पर विरोधी स्थिति का हल खोजना चाहिए। सरकार को एक रास्ता निकलना चाहिए। किसानों के साथ एक सकारात्मक मानसिकता के साथ उनकी सभी चिंताओं को शामिल होना चाहिए। श्री जोशी ने अपने पत्र में उल्लेख किया था पंजाब और हरियाणा के किसान भारत की रोटी की टोकरी हैं। पंजाब और हरियाणा के किसानों ने बंपर उत्पादन को सक्षम करते हुए ग्रीन क्रांति के दौरान देश का भोजन उपलब्ध कराया था अन्यथा हम आज 60 के दशक में कृषि संकट के बीच जीवित नहीं रह पाते थे । पंजाब और हरियाणा के किसानों के साथ चर्चा करते हुए उन्हें शाही रक्षक जैसा व्यवहार किया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में श्री जोशी ने प्रधानमंत्री से निवेदन करते हुए कहा कि कृपया किसानों के साथ बातचीत करें, ताकि चल रहे किसानों आंदोलन का एक समाधान मिले जिसमें डेड-लॉक को समाप्त किया जाए।
आज श्री जोशी के पत्र का जवाब भारत सरकार द्वारा दिया गया है। इस पत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है की सुप्रीम कोर्ट में यह मामला विचारधीन है इसलिए सरकार इस पर कुछ फैसला नही ले सकती। श्री जोशी ने इस जवाबी पत्र पर केंद्र सरकार पर पलट वार करते हुए कहा कि केंद्र सरकार दोहरी नीति अपना रही है। जब कभी काम टालना हो तो कोर्ट में विचाराधीन है कहा देती है, और अगर कोर्ट के फैसले से कुछ होरहा है तो उसे अपना फैसला बता कर प्रसंसा लुटती है। श्री जोशी ने कहा श्रीराम मंदिर का फैसला सुप्रीम कोर्ट का है, लेकिन केंद्र सरकार में शासन कर रही बीजेपी इस फैसले को अपना बता कर क्यो प्रचार कर रही है ?