महाराणा प्रताप

थर्रा जाता तख़्त अरिदल का

हय पर जब प्रताप सवार होता,
हय नहीं प्यारा मित्र प्रताप का
हवा संग जो दौड़ लगाता था l
नाम था चेतक जिसका
रण में कमाल दिखलाता था,
होशियार चेतक बिन बोले ही
दुश्मन की ओर मुड़ जाता था l
हल्दीघाटी के रण भूमि बीच
राणाप्रताप काल सा दौड़ पड़ा ,
मातृभूमि की रक्षा खातिर
अरि का मर्दन करता जाता l
न चैन उसे न घोड़ा रुकता
न तन थकता न मन थकता ,
लड़ता रहा जब तक सांस रही
मातृभूमि को मुगलों से मुक्त कराया l
आँधी -तूफान सा हुंकारे भरता
हर दिया वचन निभाता था,
रण बीच वह तेजस्वी राणाप्रताप
हर- हर महादेव कहता जाता l

अर्चना तिवारी 

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